Tava Naumi Saraswati Padayugam | तव नाैमि सरस्वती स्तोत्रम् [ PDF ]

Tava Naumi Saraswati Padyugam 
(तव नाैमि सरस्वती)


तव नाैमि सरस्वती

रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं, हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम् ।
 मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 शशि-शुद्ध-सुधा-हिम-धाम-युतं, शरदम्बर-बिम्ब-समान-करम्।
 बहु-रत्न-मनोहर-कान्ति-युतं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।

  कनकाब्ज-विभूषित-भूति-पवं, भव-भाव-विभावित-भिन्न-पदम्। 
 प्रभु-चित्त-समाहित-साधु-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 भव-सागर-मज्जन-भीति-नुतं, प्रति-पादित-सन्तति-कारमिदम्। 
 विमलादिक-शुद्ध-विशुद्ध-पदं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 मति-हीन-जनाश्रय-पारमिदं, सकलागम-भाषित-भिन्न-पदम्। 
 परि-पूरित-विशवमनेक-भवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 परिपूर्ण-मनोरथ-धाम-निधिं, परमार्थ-विचार-विवेक-विधिम्। 
 सुर-योषित-सेवित-पाद-तलं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 सुर-मौलि-मणि-द्युति-शुभ्र-करं, विषयादि-महा-भय-वर्ण-हरम्। 
 निज-कान्ति-विलोमित-चन्द्र-शिवं, तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।। 

 गुणनैक-कुल-स्थिति-भीति-पदं, गुण-गौरव-गर्वित-सत्य-पदम्। 
 कमलोदर-कोमल-पाद-तलं,तव नौमि सरस्वति! पाद-युगम्।।

सरस्वती स्तुति समाप्तम्


संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

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