II नवग्रह स्तोत्र II
जपाकुसुम सङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम् I
तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् II १ II
दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम् I
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम् II २ II
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांतिसमप्रभम् I
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् II ३ II
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् I
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् II ४ II
देवानाञ्च ऋषीनाञ्च गुरुं काञ्चनसन्निभम् I
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् II ५ II
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् I
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् II ६ II
नीलाञ्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् I
छायामार्तंडसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् II ७ II
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम् I
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् II ८ II
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् I
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् II ९ II
इति श्रीव्यासमुखोद्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः I
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशांतिर्भविष्यति II १० II
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम् I
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् II ११ II
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुद्भवाः I
ता सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रुते न संशयः II १२ II
I इति श्रीव्यासविरचितमादित्यादिनवग्रहस्तोत्रं सम्पूर्णम् I
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संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।