Saraswatee Maya Drishta . सरस्वती मया दृष्टा

Saraswatee Maya Drishta .


 सरस्वती मया दृष्टा 

सरस्वती मया दृष्टा वीणापुस्तकधारिणी । 
हंसवाहनसंयुक्ता विद्यादानं करोतु मे ।। १।।

प्रथमं भारती नाम द्वितीयञ्च सरस्वती ।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थ हंसवाहिनी ।। २ ।।

पञ्चमं तु जगन्माता षष्ठं वागीश्वरी तथा ।
सप्तमं चैव कौमारी अष्टमं वरदायिनी ।। ३।।

नवमं बुद्धिदात्री च दशमं ब्रह्मचारिणी ।
एकादशं चन्द्रघण्टा द्वादशं भुवनेश्वरी ।। ४।।

द्वादशै तानि नामानि त्रिसन्ध्यं य पठेन्नरः ।
जिह्वाग्रे वसते तस्य ब्रह्मरूपा सरस्वती ।। ५।।

संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

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