Yatiraj mune Yati Raj Mune jai jai ramanuj yatiraj Mune. यतिराज मुनि यतिराज मुनि

 यतिराज मुनि यतिराज मुनि


यतिराज मुनि यतिराज मुनि । 

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि यतिराज मुनि । 

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

आदिशेष श्रीभूतपुरी मे ।

आदिशेष श्रीभूतपुरी मे ।। २

प्रकट भये यतिराज मुनि । 

स्वामी प्रकट भये यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि यतिराज मुनि । 

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि  ।।

ब्रह्मसूत्र पर भाष्य बनाये ।

ब्रह्मसूत्र पर भाष्य बनाये ।। २

गीताभाष्य किये रमणे ।

स्वामी गीताभाष्य किये रमणे ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

नास्तिक मत सब खण्डन किने ।

नास्तिक मत सब खण्डन किने ।। २

वैष्णवमत स्थापे धरणी ।

स्वामी वैष्णवमत स्थापे धरणी ।।

यतिराज मुनि यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

मंै मति मन्द कहा लगि बरण्यो ।

मैं मति मन्द कहा लगि बरण्यो ।।२

अन्त न पावत सहस्त्रफडी ।

स्वामी अन्त न पावत सहस्त्रफडी ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज यतिराज मुनि ।।

दास पतित पर भृत्य जान कर । 

दास पतित पर भृत्य जान कर ।। २

कृपा करो फडिराज मुनि ।

स्वामी दया करो फडिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।।

जय जय रामानुज, यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज, यतिराज मुनि ।।

यतिराज मुनि, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज, यतिराज मुनि ।।

जय जय रामानुज, यतिराज मुनि ।

जय जय रामानुज, यतिराज मुनि ।।


संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

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